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प्रवीण

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हम करते रहे वफ़ा, वो मन ही मन रहे खफा, दर्द का हम ढूंढते रहे दवा, उनका बढ़ता गया जफा, हमारे त्याग की हुई तौहीन, समस्या आती रही नवीन, होती रही परीक्षा कठिन, धीरे धीरे होता रहा मैं प्रवीण ...

रहस्य ...

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रहस्य ... .............................................. एहसास, सांसों से जुड़ी सांस, कातर निगाहें, उन निगाहों की प्यास, बयां सबकुछ करती है, जुबां फिर भी डरती है, नुक़्स बहुत बड़ा है, दो प्रेमियों के सामने, सवाल कई कठिन खड़ा है, आंखे दो चार होती है, फिज़ा में बहार होती है, सिलसिला टूट जाता है, किस्मत रूठ जाता है, कोई सोता नहीं, नहीं जागता है, कोई खामोश हो जाती है, दर्द का कोई पता नहीं,  सुना है, आजकल बहुत मुस्कुराती है...

अन्तर्द्वंद

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अन्तर्द्वंद ----------------------------------- आसमान की ऊंचाई, समुद्र की गहराई, बताना बहुत मुश्किल, मेरा गम, तेरी जुदाई... शिकवा तुझे है, गुनाहगार हूं तेरा, रौशन रहे तेरी जिंदगी, इसलिए चुना मैंने अंधेरा जिंदगी का सफर, बेफिक्र, बेखबर,  तेरी यादें हो जाती है ताजा, प्यार करने वालों को देखकर... तेरे बिन, जिंदगी गमगीन, मगर तेरी यादें बहुत हसीन, भुलाने की लाख करता हूं कोशिश, मौत आसान है, जिंदगी कठिन ...

उच्छ्वास

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उच्छ्वास --------------------------------- गंगा का बहता पानी, दो दिलों की नादानी, एक दूजे से आनंदित, एक राजा और एक रानी, वादों की लग रही थी झड़ी, आसमां की आंखे थी भरी, समर्पण का अथाह भाव था,  फरिश्ता के बाहों में थी परी, पेड़ पोधे, फूल पत्तियां, नाच रहे भोरें व तितलियां, मानो गूंज रहा हो शहनाई, भावविभोर थी राजन संग रागी, डगर बहुत कठिन था, विरह में मौत मुमकिन था, मां गंगा भी चिंतित थी, कैसे मिलेंगे प्राची से प्रतीची,

राह ए वफ़ा

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राह ए वफ़ा उसकी आंखे थी नम, छिपा रही थी गम, इसी अदा का मैं मुरीद, मेरी जिंदगी मेरा नज़्म, हमारे इश्क़ की चढ़ान, हो रहे थे दोनों बदनाम, रुसवाई से जिंदगी तल्ख, छिपा रही थी उसकी मुस्कान, लाख कोशिश की मैंने, छिपा न सका तूफान, उसकी शरारती आंखे, मेरी कई  जिंदगी कुर्बान, साथ निभाना था मुश्किल, जान देना था आसान, एक दूजे की खुशियों की खातिर, सदा के लिए दोनों बन गए अनजान...

१०२. अधूरा प्यार *

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#अधूरा_प्यार ✍🏻 बिपिन कुमार चौधरी मेरा उससे कोई रिश्ता नहीं था, फिर भी उसे मेरी बहुत फिक्र थी, अपनी उलझनों का मुझे भी शिकवा नहीं था, वह चिंतित ना हो जाए, इसकी ज्यादा फिक्र थी... दोनों एक दूजे को खूब जानते थे, एक दूसरे की आहट भी पहचानते थे, फिर भी एक अजीब कश्मकश था, छुपाई जाती वह बात जो दूसरा शख़्स जानता था, इसी बात ने दूरियां बढ़ाई थी, इसी दूरी ने गलतफहमियां बढ़ाई थी, रुसवाई का दोनों को बहुत डर था, इसी डर ने दीवार बनाई थी, भारी मन से दोनों विदा हुए थे, जिस पर दिलो जान से फ़िदा हुए थे, अकड़ एक दूजे को खूब दिखाया था, भींगी पलकों को होशियारी से छिपाया था, दिल की नजदीकियां ख़त्म नहीं हुई, वक्त गुजरता रहा, दिल होता रहा जख्मी, लाचारी बेबसी के बीच एक किस्सा दफ़न हो गया, अधूरा रह गया प्यार, दो जिस्मों का जान खो गया ...

१०३. ख्वाहिश *

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ख्वाहिश ✍🏻 बिपिन कुमार चौधरी चांद तारे तोड़ ला नहीं पाऊंगा, बेशक यह मेरी ओकाद नहीं है,  जिंदगी के सफ़र में साथ निभाऊंगा, जब तलक मेरे सांसों में सांस है, ग़रीबी का मारा लेकिन दिल का अमीर हूं, मेरे दिल की रानी हो, भले तेरा फुटा तकदीर हूं, चुनौतियों से लड़ना मेरी नियति है, तेरे खातिर हर चुनौती में फतेह करने वाला वीर हूं, तेरे खातिर ताजमहल बना सकूं,  ऐसा बादशाह नहीं हूं मैं, तेरे यादों में पहाड़ का भी सीना चीर दूं, बस ऐसा दशरथ मांझी हूं मैं, ऐ रब तुझसे मेरी इतनी ख्वाहिश, मेरे होंसले को यूं ही बनाए रखना, इम्तिहान जितना कठिन लेना हो ले ले, हम दोनों की जोड़ी सजाए रखना...